कुछ बेहतर करने की दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो परिस्थितियां विपरीत होने के बाद भी व्यक्ति अपनी मंजिल को हासिल कर लेता है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है 17 वर्षीय टेबल टेनिस खिलाड़ी अर्पित ने। अर्पित के पास रैकेट खरीदने के लिए पैसे नहीं थे, तब उनके पिता ने गोल्ड लोन लेकर बेटे को रैकेट दिलवाया और बेटे ने भी स्वर्ण पदक जीतकर पिता को सोना लौटाया।
चमोली जिले की सीमांत घाटी नीति से देहरादून पढ़ने आए अर्पित ने वेल्फील्ड स्कूल में दोस्त को टेबल टेनिस खेलता देखा तो पीआरडी में तैनात पिता प्रेम हिंदवाल के सामने अपनी इच्छा रखी तो उन्होंने भी बच्चे की रुचि देखकर हामी भर दी। बस यहीं से शुरू हुआ अर्पित का टेनिस की टेबल पर अपना हुनर दिखाने का सिलसिला। अर्पित ने स्कूल में एक सीनियर छात्र से 200 रुपये में पुराना रैकेट खरीदा।