राज्य में ऐसे कई सियासतदानों के उदाहरण हैं, जिन्हें जुबान फिसलना भारी पड़ा है। उनकी कुर्सी चली गई या फिर टिकट कट गया। पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के सीएम पद से इस्तीफे के बाद तीरथ सिंह रावत को राज्य की कमान सौंपी गई थी। खांटी नेता और सहज छवि वाले तीरथ सिंह रावत के फटी जींस जैसे बयान खासे चर्चा में आ गए।
एक के बाद एक कुछ और बयान ऐसे भारी पड़े कि उनकी कुर्सी तक चली गई। रुद्रपुर के पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल भी अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहते थे, कई बार पार्टी को उनके कारण असहज भी होना पड़ा था। पिछले विधानसभा चुनाव में उनको पार्टी ने टिकट ही नहीं दिया। इसके पीछे उनके बयानों को ही कारण माना गया, बाद में ठुकराल ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया था।
खानपुर के पूर्व विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन के भी बयान असहज करने वाले रहे। पिछली बार चुनाव में उनको टिकट नहीं मिला था, उनकी पत्नी को भाजपा ने टिकट दिया। यह बदलाव भी उनके बयानों से जोड़कर देखा गया। अब कैबिनेट मंत्री प्रेम चंद अग्रवाल इसी तरह बयान के तीर के शिकार हुए हैं। उनका पिछले महीने एक बयान तूल पकड़ गया, इसको लेकर विरोध प्रदर्शन हुए। ऐसे में उनको इस्तीफा देना पड़ा।