कहते हैं कि डाॅक्टर भगवान का रूप होते हैं। यह बात आज सही मायनों में चरितार्थ नजर आई। दून अस्पताल में गत नवंबर के पहले सप्ताह में बेहोशी की हालत में भर्ती हुए वीरचंद नाम के लावारिस व्यक्ति का चिकित्सकों ने न सिर्फ उपचार किया, बल्कि तीमारदार बनकर उसका बेहतर ध्यान भी रखा। अब मरीज पूरी तरह स्वस्थ है।
दून अस्पताल में करीब दो महीने पूर्व प्रेमनगर क्षेत्र से एंबुलेंस से एक लावारिस मरीज को लाया गया था। मरीज के फेफड़ों में गंभीर संक्रमण और बेड सोर नामक रोग था। उसको सांस लेने में दिक्कत होने के साथ ही पूरे शरीर में गहरे घाव थे। चिकित्सकों के मुताबिक मरीज न तो बोल पा रहा था और न ही कुछ देख-सुन पा रहा था। चिकित्सकों ने प्राथमिक उपचार देने के बाद मरीज को आईसीयू में भर्ती की सिफारिश की तो वहां पर बेड ही खाली नहीं था।
ऐसी स्थिति में मरीज को इमरजेंसी के सर्जरी वार्ड में ही भर्ती करना पड़ा। चूंकि, मरीज के साथ कोई भी नहीं था, तो उपचार की जिम्मेदारी अस्पताल के चिकित्सक डॉ. अभय कुमार, डॉ. गुलशेर, डॉ. दिव्यांशु, डॉ. रहनुमा और डॉ. नैना ने ली। उनके समर्पण और दृढ़ संकल्प से मरीज ने जिंदगी की जंग जीत ली।