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राज्य में बाघों की मौत में पिछले साल की तुलना में 61.90 प्रतिशत की कमी आई है। इस साल शिकार का कोई मामला भी रिपोर्ट नहीं हुआ। राज्य में बाघों की अच्छी खासी संख्या है। पिछले साल बाघों की मौत के मामले लगातार रिपोर्ट हुए।

पहली मौत राज्य में 23 जनवरी को रिपोर्ट हुई उसके बाद मामले सामने आते गए। 27 दिसंबर तक प्रदेश में बाघों की मौत का आंकड़ा 21 तक पहुंच गया था। प्राकृतिक मौत के अलावा शिकार के मामले भी सामने आए। कुमाऊं में तीन बाघ की खाल जुलाई और सितंबर में बरामद की गई। इसमें जुलाई में बाघ की खाल बरामद हुई थी, उसकी लंबाई 11 फीट तक थी।

वर्तमान साल बाघों के हिसाब से अब तक बेहतर रहा है। नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी के अनुसार, राज्य में इस साल अब तक आठ बाघों की मौत हुई है। इस साल आखिर बाघ की मौत का मामला सितंबर में सामने आया था।

12 साल में 132 बाघों की मौत

राज्य में 2012 से सितंबर-2024 तक 132 बाघों की मौत हुई। एनटीसीए के अनुसार, बाघों की मौत के मामले में देश में राज्य की स्थिति चौथी है। मध्य प्रदेश में सर्वाधिक 365 मौत रिपोर्ट हुई।

वन्यजीवों के शिकार के स्थान के मामले में चुप्पी

वन्यजीवों के शिकार के स्थान के मामले में वन विभाग की चुप्पी रही है। पिछले साल तीन बाघ की खाल को बरामद किया गया था। इन बाघों का शिकार कहां हुआ इसका खुलासा आज तक नहीं हो सका। इसी तरह 2022 में दो बाघ की खाल को वन विभाग की टीम और सुरक्षा एजेंसियों ने बरामद किया, लेकिन इसके शिकार के स्थल को लेकर चुप्पी रही।

बाघों की अप्राकृतिक मौतों को रोकने के लिए कदम उठाए गए हैं। पेट्रोलिंग और मॉनिटरिंग बेहतर की गई है। बाघों के वास स्थल के सुधार के भी प्रयास किए गए हैं। अगर बाघ को जंगल के अंदर भोजन और सुरक्षा मिलेगी तो वे बाहर कम आएंगे। इको टूरिज्म से जुड़े व्यक्ति भी वन विभाग की मदद करते हैं। पिछले साल शिकार के मामलों में जांच की जा रही है।

                                        – रंजन मिश्रा, प्रमुख वन संरक्षक वन्यजीव

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