गोविंदघाट क्षेत्र आपदा की दृष्टि से काफी संवेदनशील रहा है। पिछले 17 सालों में यहां पर अलकनंदा नदी पर बने पुल तीन बार टूट चुके हैं। इससे जहां एक तरफ हेमकुंड साहिब जाने वाले यात्रियों और फूलों की घाटी जाने वाले पर्यटकों को परेशानी उठानी पड़ती है वहीं पुलना के ग्रामीणों के लिए भी यह बड़ी समस्या बन जाता है।
बुधवार को जब अचानक गोविंदघाट में बना पुल भूस्खलन की जद में आने से धराशायी हो गया तो यहां पर पिछले सालों में आई आपदाओं का मंजर भी आंखों के सामने आ गया। पिछले 17-18 सालों में आपदा से यहां बड़ी तबाही हुई हैं। बार-बार पुल टूटने से हेमकुंड साहिब जाने वाले यात्री खासे परेशान रहे हैं। 2013 की आपदा हो या उससे पहले 2007 में आई आपदा, सभी ने इस क्षेत्र को काफी जख्म दिए हैं। जिनसे उबरने में काफी समय लग जाता है। हर बार जब भी पुल टूटते हैं तो पुलना के ग्रामीणों का जीवन गांव तक ही सीमित रह जाता है।