केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री प्रशासन अकादमी (लबासना) में 99वें फाउंडेशन कोर्स के दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य शामिल हुए। इस दौरानउन्होंने कहा कि अधिकारियों का काम सरकार को रियेक्टिव (प्रतिक्रियाशील) नहीं बल्कि एक्टिव (सक्रिय) बनाना है। ताकि, विकास को देश के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाया जा सके। उन्होंने युवा अधिकारियों को भविष्य में बेहतर काम करने के गुर भी बताए। उन्होंने कहा कि प्रगति वही कर सकता है जिसके अंदर अंतिम सांस तक छात्र बने रहने की भावना जिंदा रहती है।
शाह ने कहा कि सिविल सेवा में स्व से पर यानी अपने से पहले दूसरों के बारे में विचार करने से बड़ा कोई मंत्र नहीं होता है। सार्वजनिक जीवन में जाने के बाद अधिकारियों को लोगों के जीवन को आगे बढ़ाने के प्रयास करने चाहिए। उन्होंने युवा अधिकारियों को टास्क दिया कि वे जहां जिस स्थान पर भी पोस्टिंग जाएं वहां के अलग-अलग पड़े डाटा को एआई की मदद से एक साथ लाने का काम करें। ये छोटे-छोटे प्रयोग देश को आगे बढ़ाने में उपयोगी होंगे। विकास आंकड़ों से नहीं बल्कि परिणाम से होता है। उन्होंने कहा कि जीएसटी जिस वक्त लागू हुआ था तब अर्थ शास्त्री यह मानते थे कि यह भारत में सफल नहीं होगा। लेकिन यह आर्थिक विकास की धुरी है। उन्होंने मेक इन इंडिया को आने वाले दिनों में देश का गौरव बताया।
व्यथा से नहीं व्यवस्था से निकलेगा समाधान
शाह ने कहा कि चिंता की जगह चिंतन और व्यथा की जगह व्यवस्था से किसी भी समस्या का समाधान निकाला जा सकता है। चिंता हमारी सोचने की क्षमता को कम करती है। ऐसे में योग और ध्यान को जीवन का नित्यक्रम बनाना चाहिए। समस्या के समाधान के लिए रोड मैप बनाना, माइक्रो प्लानिंग करना और उसे लागू करना और निरंतर फॉलोअप बेहद जरूरी है। महिलाओं की भागीदारी पर उन्होंने कहा कि आज उपस्थित चयनित सिविल सेवा अधिकारियों में 38 प्रतिशत महिलाएं हैं। जब तक देश की 50 प्रतिशत जनसंख्या नीति निर्धारण संबंधी निर्णयों में शामिल नहीं होगी तब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वुमेन लेड डवलपमेंट का सपना पूरा नहीं होगा।
शाह ने कहा कि चिंता की जगह चिंतन और व्यथा की जगह व्यवस्था से किसी भी समस्या का समाधान निकाला जा सकता है। चिंता हमारी सोचने की क्षमता को कम करती है। ऐसे में योग और ध्यान को जीवन का नित्यक्रम बनाना चाहिए। समस्या के समाधान के लिए रोड मैप बनाना, माइक्रो प्लानिंग करना और उसे लागू करना और निरंतर फॉलोअप बेहद जरूरी है। महिलाओं की भागीदारी पर उन्होंने कहा कि आज उपस्थित चयनित सिविल सेवा अधिकारियों में 38 प्रतिशत महिलाएं हैं। जब तक देश की 50 प्रतिशत जनसंख्या नीति निर्धारण संबंधी निर्णयों में शामिल नहीं होगी तब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वुमेन लेड डवलपमेंट का सपना पूरा नहीं होगा।